Sunday 22 July 2012


हज़रत अली (अलैहिस्सलाम) के कथन (461 - 480)


461
कमज़ोर के बस में बस यही होता है कि वो पीठ पीछे बुराई करता है।

462
बहुत से लोग इस वजह से ग़लत चक्कर में फंस जाते हैं कि उन के बारे में अच्छे विचार व्यक्त किए जाते हैं।

463
दुनिया किसी और जगह के लिए बनाई गई है और ख़ुद अपने लिए नहीं बनाई गई है।

464
बनी उमैय्या के लिए एक समय तक मोहलत है जिस में वो दौड़ लगा रहे हैं। फिर उन में आपस में मतभेद पैदा हो जाएगा जिस के बाद अगर बिज्जू भी उन पर हमला करे तो विजयी होगा।

465
आप (अ.स.) ने अंसार की प्रशंसा करते हुए फ़रमायाः ख़ुदा की क़सम उन्होंने अपनी दौलत से इसलाम की इस तरह देख भाल की जैसे घोड़े के बच्चे को पाला पोसा जाता है, अपने दयालु हाथों और तेज़ ज़बानों के साथ।

466
आंख पीछे के लिए तसमा हैं।

467
और लोगों का एक शासक हुआ जो सीधे रास्ते पर चला और दूसरों को उस राह पर लगाया यहां तक कि दीन ने अपना सीना टेक दिया।

468
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः लोगों पर एक ऐसा मुश्किल समय आने वाला है कि जब मालदार अपने माल में कंजूसी करेगा हालांकि उसे ऐसा करने से मना किया गया है। अल्लाह पाक ने कहा है, आपस में एक दूसरे को अपना माल देने को भूलो मत। उस ज़माने में बुरे लोग अधिक हो जाएँगे और अच्छे लोग अपमानित होंगे। और मजबूर व बेबस लोगों के साथ ख़रीद फ़रोख़्त की जाए गी जबकि हज़रत रसूल (स.) ने मजबूर लोगों का माल सस्ते दामों में ख़रीदने को मना किया है।

469
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः मेरे बारे में दो लोग तबाह होंगे। एक मेरा चाहने वाला जो मुझ को हद से बढ़ाए और दूसरा वो जो मुझ पर झूट बांधे। यह बात इस तरह भी कही गई है कि मेरे बारे में दो लोग तबाह होंगे। एक वो चाहने वाला जो हद से बढ़ जाए और एक मुझ से द्वेष रखने वाला जो मेरे बारे में बेहूदा बातें करे।

470
आप (अ.स.) से तौहीद और न्याय के बारे में सवाल किया गया तो आप ने फ़रमायाः तौहीद का अर्थ यह है कि उस को अपने भ्रम व कल्पना से परे जानो और न्याय यह है कि उस पर कोई आरोप न लगाओ।

471
जहां बोलना ज़रूरी हो वहां ख़ामोशी अच्छी नहीं है इसी तरह जहां ख़ामोश रहना चाहिए वहां बोलना अच्छा नहीं है।

472
आप (अ.स.) ने एक बार बारिश की दुआ करते हुए फ़रमायाः हमें आज्ञाकारी बादलों के द्वारा तृप्त कर न उन बादलों द्वारा जो सरकश और मुंहज़ोर हों।

473
आप (अ.स.) से कहा गया कि अगर आप सफ़ेद बालों को ख़िज़ाब से काला कर लेते तो बेहतर होता। इस पर आप (अ.स.) ने फ़रमायाः ख़िज़ाब श्रंगार है और हम शोक में हैं।

सैय्यद रज़ी कहते हैं कि हज़रत ने इस से हज़रत रसूल (स.) का देहान्त मुराद ली है।

474
वो योद्धा जो ख़ुदा की राह में जिहाद करते हुए शहीद हो जाए उस व्यक्ति से अधिक पुण्य का पात्र नहीं है जो शक्ति व सामर्थ्य रखते हुए पाप से बचा रहे। और हो सकता है कि पाकदामन व्यक्ति फ़रिश्तों में से एक फ़रिश्ता हो जाए।

475
संतोष ऐसी पूंजी है जो कभी ख़त्म नहीं होती।

476
जब ज़ियाद इबने अबीह को अब्दुल्लाह इबने अब्बास की जगह फ़ारस और उस के आधीन शहरों की हुकूमत दी तो आप ने उस से बात चीत के दौरान उस को पेशगी मालगुज़ारी वसूल करने से रोका। आप (अ.स.) ने फ़रमायाः

न्याय के रास्ते पर चलो और अत्याचार करने व ग़लत तरीक़े अपनाने से बचो। क्यूंकि ग़लत तरीक़े अपनाने की नतीजा यह होगा कि लोगों को अपना घर बार छोड़ना पड़ेगा और अत्याचार उन को तलवार उठाने का निमंत्रण देगा।

477
सबसे बड़ा पाप यह है कि पाप करने वाला उस को हलका समझे।

478
पाक परवरदिगार ने अज्ञानियों से ज्ञान सीखने का वादा उस समय तक नहीं लिया जब तक ज्ञानियों से अज्ञानियों को ज्ञान सिखाने का वादा न ले लिया।

479
सब से बुरा भाई वो है जिस के लिए कष्ट उठाना पड़े।

480
जब कोई मोमिन अपने किसी भाई को क्रोधित करे गा तो ये उस से जुदाई का कारण होगा।
हज़रत अली (अलैहिस्सलाम) के कथन (441 - 460)

441
हुकूमत पुरुषों के लिए मुक़ाबले का मैदान है।

442
तुम्हारा कोई शहर दूसरे शहर से अच्छा नहीं है। तुम्हारे लिए सब से अच्छा शहर वो है जो तुम्हारा बोझ उठाए (अर्थात जहाँ तुम्हारा रोज़गार हो)।

443
जब हज़रत मालिके अशतर रहमतुल्ला अलैह की शहादत का समाचार मिला तो आप (अ.स.) ने फ़रमायाः मालिक, मालिक कैसा (अच्छा) इंसान था। ख़ुदा की क़सम अगर वो एक पहाड़ होता तो सब से अलग पहाड़ होता और अगर वो पत्थर होता तो एक भारी पत्थर होता कि न (किसी घोड़े का) खुर उस तक पहुँचता और न कोई पक्षी वहां पर मार सकता।

444
वो थोड़ा कर्म जिस में निरन्तरता हो उस अधिक कर्म से अच्छा है जिस को करने के बाद दिल को तकलीफ़ हो।

445
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः अगर किसी व्यक्ति में उत्तम गुण पाओ तो उस में वैसे ही दूसरे सदगुणों की अपेक्षा करो।

446
ग़ालिब इबने सअसआ अबुलफ़रज़दक़ से बात चीत के दौरान फ़रमायाः तुम्हारे पास जो बहुत से ऊँट थे उन का क्या हुआ। उन्होंने जवाब दिया कि हुक़ूक़ की अदायगी ने उन को तितर बितर कर दिया। आप (अ.स.) ने फ़रमायाः ये तो उन का सबसे अच्छा उपयोग हुआ।

447
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः जो व्यक्ति शरीयत के आदेश जाने बिना व्यापार करेगा वो ख़ुद को ब्याज के चक्कर में फँसा देगा।

448
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः जो व्यक्ति छोटी सी परेशानी को बड़ा समझता है अल्लाह उस को बड़ी विपत्तियों मे फँसा देता है।

449
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः जिस व्यक्ति की नज़र में उस का स्वंय का आदर होगा वो अपनी वासनाओं को महत्वहीन समझे गा।

450
कोई व्यक्ति हंसी मज़ाक़ नहीं करता मगर वो अपनी बुद्धि का एक भाग अपने से अलग कर देता है।

451
जो तुम्हारी तरफ़ झुके उस से मुँह मोड़ना तुम्हारे आनन्द व भाग्य को कम करता है और जो तुम से मुँह मोड़े उस की तरफ़ झुकना तुम्हारा अपमान है।

452
असली स्मृद्धि और दरिद्रता क़यामत के दिन अल्लाह के सामने पेश होने के बाद मालूम होगी।

453
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः ज़ुबैर हमेशा से हमारे घर का आदमी था यहां तक कि उस का अभागा बेटा अबदुल्ला जवान हो गया।

454
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः आदम (अ.स.) के बेटे को गर्व से क्या काम जब कि उस का आरम्भ वीर्य से हुआ और उस का अन्त मुरदार है। न वो अपने लिए जीविका का प्रबन्ध कर सकता है और न अपनी मौत को अपने आप से दूर भगा सकता है।

455
आप (अ.स.) से पूछा गया कि सब से बड़ा कवि कौन है तो आप ने फ़रमाया कि सब कवियों ने एक ही मैदान में काव्य रचना नहीं की जिस से कहा जाए कि कौन आगे निकल गया और किस ने अन्तिम सीमा को छू लिया। किन्तु अगर किसी एक के बारे में निर्णय करना ही है तो फिर मलिकुल ज़लील (गुमराह बादशाह अर्थात उमराउल क़ैस) सब से अच्छा था।

456
क्या कोई स्वतंत्र पुरुष नहीं है जो इस चबाए हुए लुक़मे (अर्थात दुनिया) को उन के लिए छोड़ दे जो उस के पात्र हैं। तुम्हारी जान का मूल्य स्वर्ग के अतिरिक्त कुछ नहीं है अतः उस को किसी और मूल्य पर मत बेचो।

457
दो चाहने वाले कभी संतुष्ट नहीं होते। एक ज्ञान चाहने वाला, एक दुनिया चाहने वाला।

458
ईमान की निशानी यह है कि जहाँ सच्चाई तुम्हारे लिए हानिकारक हो तुम उस को झूट पर प्राथमिकता दो और तुम्हारी बातें तुम्हारे कर्म से अधिक न हों और दूसरों के बारे में बात करने से पहले अल्लाह से डरते रहो।

459
भाग्य प्रयास पर छा जाता है और कभी कभी प्रयास से हानि हो जाती है।

460
शालीनता (बुरदुबारी) और धैर्य (सब्र) हमेशा एक दूसरे के साथ देते हैं और दोनों के लिए बहुत हिम्मत चाहिए।


हज़रत अली (अलैहिस्सलाम) के कथन (421 - 440)



421
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः तुम्हारे लिए इतनी बुद्धि काफ़ी है जो तुम को बुराई का रास्ता अच्छाई के रास्ते से अलग करके दिखा दे।

422
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः नेक काम करो और थोड़ी सी भी भलाई को छोटा मत समझो क्यूँकि छोटी सी नेकी भी बड़ी और थोड़ी सी भलाई भी बहुत है। तुम में से कोई व्यक्ति ये न कहे कि कोई दूसरा व्यक्ति नेक काम करने के लिए उस से अधिक योग्य है वरना अल्लाह की क़सम ऐसा ही हो कर रहेगा। कुछ लोग नेकी करने वाले होते हैं और कुछ लोग बदी करने वाले होते हैं। जब तुम नेकी या बदी में से किसी एक को छोड़ दोगे तो तुम्हारे बदले उस काम को वो लोग अंजाम देंगे जो उस काम करने पात्र हैं।

423
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः जो व्यक्ति अपने अन्दर का सुधार कर लेता है तो अल्लाह उस के बाहर को भी सही कर देता है। जो व्यक्ति धर्म के लिए काम करता है अल्लाह उस की दुनिया भी ठीक कर देता है। जो व्यक्ति अपने और अपने अल्लाह के बीच मामलात ठीक रखता है तो अल्लाह उस के और लोगों के बीच के मामलात ठीक कर देता है।

424
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः बुरदुबारी (शालीनता) एक ढाँपने वाला पर्दा है, बुद्धि एक काटने वाली तलवार है। अतः अपने व्यवहार की कमज़ोरियों को अपनी शालीनता द्वारा छिपाओ और अपनी वासनाओं का मुक़ाबला बुद्धि से करो।

425
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः अल्लाह अपने बन्दों को लाभ पहुँचाने के लिए अपने कुछ बन्दों को चुन लेता है। अतः जब तक वो देते दिलाते रहते हैं, अल्लाह उन नेमतों को उन के हाथ में रहने देता है और जब वो उन नेमतों को रोक लेते हैं तो अल्लाह वो नेमतें उन से छीन कर दूसरों को दे देता है।

426
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः किसी व्यक्ति को शोभा नहीं देता कि वो दो चीज़ों पर भरोसा करे। एक स्वास्थ्य और दूसरे दौलत। क्यूँकि अभी तुम किसी व्यक्ति को स्वस्थ्य देख रहे होते हो और वो देखते ही देखते बीमार हो जाता है। और कभी तुम किसी व्यक्ति को धनी देख रहे होते हो और वो देखते ही देखे दरिद्र हो जाता है।

427
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः अगर किसी व्यक्ति ने अपनी आवश्यकता की शिकायत किसी मोमिन के सामने की तो ऐसा है जैसे उस ने अपनी शिकायत अल्लाह के सामने पेश की। और अगर उस ने अपनी शिकायत किसी काफ़िर के सामने पेश की तो ऐसा है जैसे उस ने अल्लाह की शिकायत की।

428
आप (अ.स.) ने एक ईद के अवसर पर फ़रमायाः

ईद केवल उस के लिए है जिस के रोज़ों को अल्लाह ने स्वीकार कर लिया हो और उस की नमाज़ को आदर की निगाह से देखता हो। और हर वो दिन जिस दिन इंसान पाप न करे, ईद का दिन है।

429
क़यामत के दिन हिसाब किताब के अवसर पर सब से अधिक पछतावा उस व्यक्ति को होगा कि जिस ने अल्लाह के आदेशों का उल्लंघन करते हुए ग़लत तरीक़े से माल जमा किया फिर जिस व्यक्ति को यह माल विरासत में मिला उस ने उस माल को अल्लाह के आदेशों का पालन करने में व्यय किया और स्वर्ग में चला गया और पहला व्यक्ति जिस ने यह माल जमा किया था इसी माल के कारण नरक में चला गया।

430
लेन देन में सब से अधिक घाटा उठाने वाला और दौड़ धूप में सब से अधिक नाकाम होने वाला व्यक्ति वो है जिस ने माल प्राप्त करने के लिए अपने बदन को कमज़ोर कर लिया हो मगर तक़दीर ने उस के इरादों में उस का साथ न दिया हो। अतः वो इस दुनिया से भी हसरत लिए हुए गया और उस ने परलोक में भी दण्ड का सामना किया।

431
रोज़ी दो तरह की होती हैः एक रोज़ी वो होती है जो इंसान को ढूँढती है और एक वो रोज़ी होती है जिस को इंसान ढूँढता है। अतः जो व्यक्ति दुनिया के पीछे भागता है मौत उस का पीछा करती है यहां तक कि उस को इस दुनिया से बाहर कर देती है। और जो व्यक्ति परलोक की तलाश में रहता है दुनिया उस को तलाश करती है यहां तक कि उस को पूरी मिल जाती है।

432
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः अल्लाह के दोस्त वो होते हैं जो दुनिया के अन्दर को (अर्थात उस की वास्तविकता को) देखते हैं जब कि लोग दुनिया के बाहर को देखते हैं। अल्लाह के दोस्त दुनिया के कल पर नज़र रखते हैं जब कि लोग दुनिया के आज को देखते हैं। और जिन चीज़ों के बारे में उन को डर था कि वो उन को बरबाद करदेंगी उन्होंने स्वयं उन को बरबाद कर दिया और जिन चीज़ों के बारे में उन्होंने जान लिया कि वो उन को छोड़ कर जाने वाली हैं उन्होंने स्वयं उन को छोड़ दिया। वो दूसरे लोगों की दुनिया से अधिक से अधिक लाभ उठाने की कोशिशों को तुच्छ जानते हैं। वो दुनिया की नेमतें हासिल करने को उन नेमतों के खोने के बराबर जानते हैं। ये लोग उन चीज़ों के दुश्मन हैं जिन से लोगों ने दोस्ती कर ली है। और लोग जिन चीज़ों के दुश्मन हैं इन्होंने उन से दोस्ती कर ली है। उन को अल्लाह की किताब (क़ुरान) का ज्ञान दिया गया और वो अल्लाह की किताब के ज्ञानी हैं। अल्लाह की किताब उन की वजह से सुरक्षित है और वो किताब की वजह से सुरक्षित हैं। वो जिस चीज़ की आशा रखते हैं उस से किसी चीज़ को ऊँचा नहीं समझते और वो जिस चीज़ से डरते हैं उस से अधिक किसी चीज़ से नहीं डरते।

433
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः याद रखो कि समस्त स्वाद ख़त्म हो जाने वाले हैं किन्तु उन का दण्ड बाक़ी रहने वाला है।

434
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः आज़माओ ताकि घृणा करने लगो।

435
ऐसा नहीं है कि अल्लाह किसी बन्दे के लिए शुक्र का दरवाज़ा खोले और नेमतों में बढ़ोतरी का दरवाज़ा बन्द कर दे, और किसी बन्दे के लिए दुआ का दरवाज़ा खोले और दुआ की स्वीकृति का दरवाज़ा बन्द करदे और किसी बन्दे के लिए तौबा का दरवाज़ा खोले और उस की मग़फ़िरत का दरवाज़ा बन्द कर दे।

436
दूसरों पर कृपा करने का सब से अधिक पात्र वो व्यक्ति है जिस का सम्बंध कृपा करने वाले लोगों से हो।

437
आप (अ.स.) से सवाल किया गया कि कृपा और न्याय में से कौन श्रेष्ठ है। आप (अ.स.) ने उत्तर दिया कि न्याय चीज़ों को उन के उचित स्थान पर रखता है और कृपा उन को सीमाओं से बाहर कर देती है। न्याय समस्त लोगों के लाभ के बारे में सोचता है और कृपा केवल कुछ विशेष लोगों के लिए होती है। अतः न्याय कृपा से बेहतर है।

438
लोग जिस चीज़ को नहीं जानते उस के दुश्मन होते हैं।

439
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः ज़ोहोद (संयम) की पूरी परिभाषा क़ुरान करीम ने दो वाक्यों में बयान फ़रमाई हैः जो चीज़ तुम्हारे हाथ से जाती रहे उस पर दुख न करो और जो चीज़ ख़ुदा तुम को दे उस पर इतराओ मत। अतः जो व्यक्ति जाने वाली चीज़ पर अफ़सोस नहीं करता और आने वाली चीज़ पर इतराता नहीं उस ने ज़ोहोद की दोनों दिशाओं को समेट लिया।

440
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः नींद इरादों को तोड़ देती है।

Saturday 21 July 2012

हज़रत अली (अलैहिस्सलाम) के कथन (401 - 420)

401
लोगों में घुल मिल जाना उन से होने वाली हानि से सुरक्षित रखता है।

402
एक व्यक्ति ने आप (अ.स.) से अपनी हैसियत से बढ़कर कुछ कहा तो आप (अ.स.) ने उस से फ़रमायाः तुम पर निकलते ही उड़ने लगे और जवान होने से पहले ही बिलबिलाने लगे।

403
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः जो व्यक्ति एक साथ बहुत सी चीज़ों के पीछे भागता है उस के समस्त उपाय विफल हो जाते हैं।

404
आप (अ.स.) से लाहौल व ला क़ुवता इल्ला बिल्लाह (शक्ति और सामर्थ्य नहीं है मगर अल्लाह के लिए) का अर्थ पूछा गया तो फ़रमायाः हम अल्लाह के साथ किसी चीज़ के मालिक नहीं हैं, उस ने जिन चीज़ों का हमें मालिक बनाया है बस उन्हीं पर अधिकार रखते हैं। जब उस ने हमें ऐसी चीज़ का मालिक बनाया जिस पर वो हम से अधिक अधिकार रखता है तो उस ने हम को कुछ ज़िम्मेदारियां सौंपीं और जब उस चीज़ को हम से वापिस ले लिया तो उस ने हम से वो ज़िम्मेदारियां भी वापिस ले लीं।

405
आप (अ.स.) ने जब अम्मारे यासिर को मुग़ीरा इबने शोबा से सवाल जवाब करते सुना तो फ़रमायाः

ऐ अम्मार, इस को छोड़ दो। इस ने धर्म से केवल वो लिया है जो इसे दुनिया से निकट कर दे और इस ने जान बूझ कर ख़ुद को शंका में डाल रखा है ताकि शंकओं को अपनी ग़लतियों का बहाना क़रार दे।

406
अल्लाह के यहाँ पुरस्कार पाने के लिए मालदारों द्वारा ग़रीबों का आदर सत्कार किया जाना कितना अच्छा है और इस से भी अच्छा अल्लाह पर भरोसा करते हुए ग़रीबों का मालदारों के साथ स्वाभिमान के साथ पेश आना है।

407
अल्लाह ने किसी व्यक्ति को बुद्धि प्रदान नहीं की है मगर यह कि वो उस के द्वारा उस को विनाश से बचाएगा।

408
जो सत्य से टकराएगा हार जाए गा।

409
इंसान जो देखता है वो उस के दिल में एकत्रित होता रहता है।

410
पवित्र चरित्र (तक़वा) समस्त अच्छे गुणों का सिरमौर है।

411
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः जिस ने तुम को बोलना सिखाया है उस के ख़िलाफ़ अपनी ज़बान की तेज़ी मत दिखाओ और जिस ने तुम्हें सही रास्ते पर लगाया है उस के सामने बड़ी बड़ी बातें मत करो।

412
तुम्हारी आत्मा की शुद्घि के लिए यही काफ़ी है कि तुम जो चीज़ औरों के लिए पसन्द नहीं करते अपने लिए भी पसन्द मत करो।

413
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः (मुसीबत के समय) या तो स्वतन्त्र लोगों की तरह धैर्य रखो और या मूर्खों की तरह भूल भाल कर चुप रहो।

414
एक और रिवायत में आया है कि आप (अ.स.) ने अशअस इबने क़ैस से शोक प्रकट करते हुए फ़रमायाः

या बुज़ुर्गों की तरह धैर्य रखो और या पशुओं की तरह इस शोक को भूल जाओ।

415
आप (अ.स.) ने दुनिया की विशेषताएं बताते हुए फ़रमायाः

ये धोकी देती है, हानि पहुँचाती है और छोड़ कर चली जाती है। अल्लाह ने इस को न अपने दोस्तों के लिए पुरस्कार के तौर पर पसन्द फ़रमाया और न अपने शत्रुओं के लिए दण्ड के तौर पर। दुनिया के लोग एक क़ाफ़िले की तरह हैं। जैसे ही वो अपना सामान खोलना चाहते हैं क़ाफ़िले का सरदार कूच का आदेश सुना देता है कि वो अपना सामान बाँधें और चल खड़े हों।

416
अपने सुपुत्र हज़रत हसन (अ.स.) से फ़रमायाः ऐ मेरे पुत्र दुनिया की कोई चीज़ अपने पीछे मत छोड़ो, इस लिए कि तुम दो में से किसी एक के लिए छोड़ोगे। या तो वो जो उस माल को अल्लाह की आज्ञा के पालन में उपयोग करे गा तो तुम जिस माल के बारे में बदक़िसमत रहे वो उस माल के द्वारा ख़ुशक़िसमत बन जाएगा। या वो इंसान जो तुम्हारे माल का दुर्पयोग अल्लाह के आदेशों का उल्लंघन करने के लिए करेगा और इस तरह जो तुम ने उसे उपलब्ध कराया उस से वो बदक़िसमत हो गया और तुम ने उस की ग़लत हरकतों में उस की सहायता की और इन दोनों में से एक व्यक्ति भी इस बात को अधिकारी नहीं है कि तुम उस को अपने ऊपर प्राथमिकता दो।

यही बात एक और तरह भी रिवायत की गई है।

जो माल तुम्हारे हाथ में है तुम से पहले उस के मालिक दूसरे लोग थे और वो माल तुम्हारे बाद दूसरे लोगों के हाथ में चला जाएगा। और तुम ऐसे माल जमा करने वाले हो जो अपने माल को दो में से किसी एक प्रकार के व्यक्ति के लिए छोड़ोगे। एक वो जो तुम्हारे जमा किए हुए माल को अल्लाह के आदेशों का पालन करने में उपयोग करेगा और इस तरह जिस माल के बारे में तुम अभागे रहे वो उस माल के द्वारा ख़ुशक़िसमत हो जाएगा। या वो व्यक्ति जो तुम्हारे माल का अल्लाह के आदेशों का उल्लंघन करने के लिए दुर्पयोग करेगा और इस तरह जो तुम ने उस व्यक्ति को उपलब्ध कराया वो उस के द्वारा अभागा होगया। इन दोनों में से कोई व्यक्ति भी इस बात का अधिकारी नहीं था कि तुम उस को अपने ऊपर प्राथमिकता देते और अपनी पीठ पर उस के लिए बोझ उठाओ। अतः जो चला गया उस के लिए अल्लाह की रहमत और जो बाक़ी रह गया है उस के लिए अल्लाह की ओर से रिज़्क (रोज़ी) के उम्मीदवार रहो।

417
किसी ने आप (अ.स.) के सामने असतग़फ़िरुल्लाह कहा तो आप (अ.स.) ने फ़रमायाः तुम्हारी माँ तुम्हारे शोक में बैठे। क्या तुम जानते हो कि असतग़फ़िरुल्लाह क्या है। असतग़फ़ार ऊँचे लोगों का स्थान है और इस के छः अर्थ हैं। पहला यह कि जो हो चुका उस पर लज्जित होना। दूसरा यह कि उस काम को छोड़ देने का दृढ़ निश्चय कर लेना। तीसरा यह कि लोगों के प्रति अपने कर्तव्यों को पूरा करना यहाँ तक कि अल्लाह के सामने ऐसी हालत में पहुँचो कि तुम बिल्कुल पवित्र हों और तुम्हारा दामन पापों से पाक हो। चौथा यह कि हर व्यक्ति का हक़ जो तुम ने अदा नहीं किया उस को अदा करो। पांचवाँ यह कि तुम्हारे शरीर का वो गोश्त जो हराम के माल से बना हो उस को शोक के द्वारा पिघला दो यहाँ तक कि तुम्हारी खाल हड्डियों से लग जाए और उन दोनों के बीच दोबारा नया गोश्त पैदा हो। और छटा यह कि अपने शरीर को आज्ञा पालन के दुख से परिचित कराओ उसी तरह जिस तरह उस को पाप की मिठास को चखाया था और फिर कहो असतग़फ़िरुल्लाह

418
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः बुरदुबारी (शालीनता) एक क़बीले के समान है।

419
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः बेचारा इंसान कितना बेबस है, उस की मृत्यु उस से छिपी हुई है। उस की बीमारियाँ उस के अन्दर भरी हुई हैं। उस के कर्म लिख लिए गए हैं। वो मच्छर के काटने से चीख़ पड़ता है। वो पानी गले में फँसने से मर जाता है और पसीना उस में बदबू पैदा करता है।

420
कहा जाता है कि एक बार हज़रत अली (अ.स.) कुछ लोगों के साथ बैठे हुए थे कि उन के सामने से एक सुन्दर स्त्री गुज़री और लोग उस की ओर देखने लगे। जिस पर आप (अ.स.) ने फ़रमायाः

इन पुरुषों की आँखें ताकने वाली हैं और यह ताँक झाँक उन की वासना को उत्तेजित करने का कारण बनती है। अतः अगर तुम में से किसी व्यक्ति की नज़र किसी ऐसी स्त्री पर पड़े जो तुम्हें अच्छी लगे तो उस को अपनी पत्नि की ओर देखना चाहिए क्यूँकि यह स्त्री भी उस स्त्री की तरह ही है।

यह सुन कर एक ख़ारिजी ने कहा कि ख़ुदा इस काफ़िर को नष्ट करे यह कितना बड़ा फ़क़ीह (ज्ञानी) है। यह सुन कर लोग उस को जान से मारने के लिए उठे तो आप (अ.स.) ने फ़रमायाः

ठहरो, गाली का बदला ज़्यादा से ज़्यादा गाली हो सकता है और ग़लती को क्षमा करदेना उस से भी अच्छा है।


हज़रत अली (अलैहिस्सलाम) के कथन (381 - 400)

381
वाणी जब तक तुम ने उसे कहा नहीं तुम्हारी बन्धक है और जब तुम ने कह दिया तो तुम उस के बन्धक हो। अतः अपनी ज़बान की उसी तरह रक्षा करो जिस तरह अपने सोने चाँदी की करते हो क्यूँकि बहुत सी बातें ऐसी होती हैं जो किसी बड़ी नेमत को छीन लेती हैं और विपत्ति को बुलावा देती हैं।

382
जो नहीं जानते उसे न कहो बल्कि जो जानते हो वो भी सब का सब मत कहो क्यूँकि अल्लाह ने तुम्हारे अंगों पर कुछ कर्तव्य लागू किए हैं जिन के द्वारा क़यामत के दिन वो तुम्हारे ऊपर हुज्जत लाए गा।

383
इस बात से डरो कि अल्लाह तुम को अपनी अवज्ञा के समय देखे और अपनी आज्ञा के पालन के समय अनुपस्थित पाए और तुम को घाटा उठाने वालों में गिना जाए। अतः यदि ख़ुद को शक्तिशालि दिखाना हो तो अपनी शक्ति को पाक परवरदिगार के आज्ञा पालन में लगाओ और यदि कमज़ोर होना हो तो अल्लाह की अवहेलना करने में कमज़ोरी दिखाओ।

384
दुनिया की अस्थिरता को देखते हुए उस की ओर झुकना मूर्खता है और पुण्य प्राप्त होने का विश्वास होने के बावजूद नेक काम करने में कोताही का अर्थ घाटा उठाना है और परखे बिना हर एक पर भरोसा कर लेना कमज़ोरी की निशानी है।

385
अल्लाह के नज़दीक दुनिया की तुच्छता के लिए यही काफ़ी है कि अगर अल्लाह के आदेशों की अवहेलना होती है तो इसी दुनिया में और अगर अल्लाह की ओर से नेमतें प्राप्त होती हैं तो इसी दुनिया को छोड़ने पर।

386
कोई व्यक्ति अगर किसी चीज़ को हासिल करने की कोशिश करता है तो उस को या उस के कुछ हिस्से को पा लेता है।

387
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः वो भलाई, भलाई नहीं जिस के बाद नरक की आग हो और वो बुराई, बुराई नहीं जिस के बाद स्वर्ग मिले। स्वर्ग के सामने हर नेमत छोटी है और नरक के सामने हर मुसीबत आराम है।

388
जान लो कि अगर खाने के लिए कुछ न हो तो यह एक मुसीबत है। इस से भी बड़ी मुसीबत शरीर की बीमारी है और शारीरिक बीमारियों मे सब से बड़ी बीमारी दिल की बीमारी है। और जान लो कि नेमतों में सब से बड़ी नेमत धन की अधिकता है और धन की अधिकता से भी अच्छा शरीर का निरोग होना है और शरीर के निरोग होने से अच्छा दिल का पाप से सुरक्षित होना है।

389
जिसे उस का कर्म पीछे हटा देता है उसे उस का कुल आगे नहीं बढ़ा सकता।
एक दूसरी रिवायत में इस तरह आया है।
जिस के अपने अन्दर कोई ख़ूबी न हो उसे उस के पूर्वजों की महानता से कोई लाभ नहीं होता।

390
मोमिन का समय तीन भागों में विभाजित होता है। एक भाग में तो वो अपने परवरदिगार से बातें करता है, एक भाग में वो अपनी जीविका की व्यवस्था करता है और एक भाग में वो हलाल और पवित्र स्वादों का स्वाद लेने के लिए अपने आप को स्वतंत्र छोड़ देता है। और बुद्धिमान को शोभा नहीं देता कि वो तीन चीज़ों के अलावा किसी और चीज़ के पीछे भागे। अपने रोज़गार का प्रबन्ध करना या परलोक की ओर क़दम बढ़ाने के लिए काम करना और या ऐसी चीज़ो से स्वाद लेना जो हराम न हों।

391
दुनिया से दिल न लगओ, अल्लाह तुम को दुनिया की ख़राबियाँ दिखा देगा और बेपरवा न रहो क्यूँकि तुम्हारी ओर से बेपरवा नहीं रहा जाए गा।

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आप (अ.स.) ने फ़रमायाः बात करो ताकि पहचाने जाओ क्यूँकि इंसान अपनी ज़ुबान के नीचे छिपा है।

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दुनिया से तुम को जो हासिल हो ले लो और जो चीज़ तुम से मुँह मोड़ ले तुम भी उस से मुँह मोड़ लो। और अगर ऐसा नहीं कर सकते तो फिर दुनिया माँगने व हासिल करने में संतुलन स्थापित करो।

394
बहुत से वाक्य आक्रमण से अधिक प्रभाव रखते हैं।

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जिस चीज़ पर संतोष कर लिया जाए वही काफ़ी है।

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मौत आ जाए किन्तु अपमान न हो। कम मिले किन्तु दूसरे के द्वारा न मिले। जिसे कोई चीज़ आसानी से नहीं मिलती वो चीज़ उसे कोशिश कर के भी नहीं मिलती। काल दो दिनों पर विभाजित है। एक दिन तुम्हारे पक्ष में है और एक दिन तुम्हारे विपक्ष में। जब काल तुम्हारे पक्ष में हो तो इतरओ मत और जब विपक्ष में हो तो धैर्य से काम लो।

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सब से अच्छी सुगन्ध मुश्क है जिस का पात्र हलका और जिस की महक मस्तिष्क के लिए अच्छी है।

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गर्व करना छोड़ दो, अहंकार को ख़त्म कर दो और क़ब्र को याद रखो।

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आप (अ.स.) ने फ़रमायाः पुत्र का पिता पर एक हक़ है और पिता का पुत्र पर एक हक़ है। पिता का पुत्र पर यह हक़ है कि पुत्र पाक परवरदिगार की अवज्ञा के अतिरिक्त हर चीज़ में उस के आदेश का पालन करे। पुत्र का हक़ पिता पर यह है कि उस का अच्छा नाम रखे और उस को क़ुरान की शिक्षा दे।

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बुरी नज़र, टोना टोटका, जादू और अच्छा शगुन होता है, मगर अपशगुन कोई चीज़ नहीं है और एक की बीमारी दूसरे को लग जाना ग़लत है। ख़ुशबू लगाना और शहद खाना बीमारी में लाभदायक है। सवारी करना और हरियाली पर नज़र करना दुख, शोक, क्षोभ एवं व्याकुलता को दूर करता है।