Thursday 5 July 2012


हज़रत अली (अलैहिस्सलाम) के कथन (199 – 212)


199
आप (अ.स.) ने एक बार आम लोगों की भीड़ को देख कर फ़रमायाः
ये वो लोग हैं जो अगर इकट्ठा हो जाते हैं तो छा जाते हैं और जब फैल जाते हैं तो पहचाने नहीं जाते।
एक दूसरी जगह यही बात इस प्रकार कही गई हैः
ये वो लोग हैं कि जब इकट्ठा हो जाते हैं तो हानि पहुँचाते हैं और जब फैल जाते हैं तो लाभदायक होते हैं।
आप (अ.स.) से कहा गया कि इन लोगों के एकत्र होने से होने वाली हानि के बारे में तो जानते हैं किन्तु इन के फैल जाने से क्या लाभ होता है, तो फ़रमायाः
विभिन्न प्रकार के काम करने वाले लोग अपने अपने कारोबार की ओर लौट जाते हैं और लोग इस से लाभ उठाते है। राज मिस्त्री लोग अपने द्वारा बनाए जाने वाले भवनों की ओर लौट जाते हैं, कपड़ा बुनने वाले लोग अपने काम की जगह की ओर और नानबाई अपनी रोटी बनाने की जगह की तरफ़ लौट जाते हैं।

200
आप (अ.स.) के सामने एक अपराधी लाया गया तो उस के पीछे पीछे तमाशाइयों का हुजूम भी था, जिस को देख कर आप (अ.स.) ने फ़रमायाः
ऐसे चेहरों पर फिटकार हो जो केवल बुरे अवसरों पर ही नज़र आते हैं।

201
हर इनसान के साथ दो फ़रिश्ते होते हैं जो उस की रक्षा करते हैं और जब मौत का समय आता है तो उस के और मौत के बीच से हट जाते हैं। और बेशक इंसान की निर्धारित आयु उस के लिए मज़बूत ढाल है।

202
तलहा व ज़ुबैर ने आप (अ.स.) से कहा कि हम इस शर्त पर आप की बैअत करते हैं कि इस हुकूमत में आप के शरीक होंगे, तो आप (अ.स.) ने फ़रमायाः
नहीं, बल्कि तुम शक्ति पहुँचाने और हाथ बँटाने में शरीक और कमज़ोरी और कठिनाई के अवसर पर सहायक होगे।

203
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः अल्लाह का तक़वा इख़तियार करो (अर्थात अपने मन और कर्मों को पवित्र कर लो) क्यूँकि तुम जो कुछ कहते हो वो उस को सुनता है और अगर तुम कोई बात अपने दिल में छिपा कर रखो तो वो जानता है। और उस मौत की ओर बढ़ने की तैयारी करो कि अगर तुम उस से भागो गे तो वो तुम को पा लेगी और अगर ठहर जाओगे तो तुम को पकड़ लेगी और अगर तुम उस को भूल जाओ गे तो वो तुम को याद रखे गी।

204
किसी व्यक्ति का तुम्हारे उपकार के बदले तुम्हारा कृतज्ञ न होना तुम को उपकार करने से हतोत्साहित न कर दे। क्यूँकि कभी कभी ऐसा भी होता है कि तुम्हारे उपकार की वो व्यक्ति सराहना करता है जिस ने उस उपकार से कोई लाभ ही न उठाया हो। और उस अकृतज्ञ व्यक्ति ने तुम्हारे हक़ को जितनी हानि पहुँचाई हो तुम उस से कहीं अधिक उस सराहना करने वाले की सराहना से प्राप्त कर लो गे। और अल्लाह उपकार करने वालों को दोस्त रखता है।

205
हर पात्र (बरतन) उस में रखी गई चीज़ की वजह से तंग हो जाता है, किन्तु ज्ञान का पात्र एक ऐसा पात्र है कि उस में जितना ज्ञान भरा जाता है वो उतना ही विशाल हो जाता है।

206
शालीन (बुर्दबार) व्यक्ति को अपनी शालीनता (बुर्दबारी) का पहला प्रतिफल यह मिलता है कि लोग जाहिल व्यक्ति के ख़िलाफ़ उस के तरफ़दार हो जाते हैं।

207
अगर शालीन (बुर्दबार) नहीं हो तो बुर्दबार बनने की कोशिश करो क्यूँकि ऐसा कम ही होता है कि कोई व्यक्ति ख़ुद को लोगों के एक विशेष समूह जैसा दिखाने की कोशिश करे और वो उन जैसा न हो जाए।

208
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः जिस ने अपने आप का हिसाब किया उस ने लाभ उठाया और जो इस काम से बेपरवा रहा उस ने नुक़सान उठाया, और जो डरा वो सुरक्षित हो गया और जिस ने उपदेश ग्रहण किया वो देखने वाला हो गया और जो देखने वाला हो गया वो समझ गया और जिस ने समझ लिया उस ने ज्ञान प्राप्त कर लिया।

209
यह दुनिया मुँहज़ोरी दिखाने के बाद हमारी तरफ़ झुकेगी, उसी तरह जिस तरह काटने वाली ऊँटनी अपने बच्चे की तरफ़ झुकती है। फिर आप (अ.स.) ने क़ुरान शरीफ़ की एक आयत की तिलावत फ़रमाई जिस का अर्थ हैः
हम चाहते हैं कि जो लोग ज़मीन पर कमज़ोर कर दिए गए हैं उन पर एहसान करें और उन को इमाम बनाएँ और उन्हीं को इस ज़मीन का वारिस बनाएँ।

210
आप (अ.स.) ने फ़रमाया, अल्लाह का तक़वा इख़तियार करो (अर्थात अपने मन व कर्मों को पवित्र कर लो) उस व्यक्ति की तरह जो कमर कस कर तैयार हो गया और जिस ने समय पर कोशिश की और अल्लाह की बन्दगी के रास्ते पर डरता हुआ मगर तेज़ी से आगे बढ़ा और जिस ने अपने कर्मों और अपनी आख़िरी मन्ज़िल (गन्तव्य) पर नज़र रखी।

211
दानशीलता (सख़ावत) मान मर्यादा की रक्षक है, बुर्दबारी मूर्ख के मुँह का तसमा है, क्षमा करना सफ़लता की ज़कात है (अर्थात सफ़लता के लिए क्षमा करना ज़रूरी है), ग़द्दारी करने वाले को भूल जाना ही उस का बदला है। परामर्श (मशवरा) लेने का अर्थ सही रास्ता पा जाना है। जो व्यक्ति केवल अपनी राय पर भरोसा करता है ख़ुद को ख़तरे में डालता है। धैर्य (सब्र) विपत्तियों को दूर करता है। व्याकुलता (व्यक्ति के बुरे) समय की सहायता करती है। सबसे बड़ी दौलत आकांक्षाओं से हाथ उठा लेना है। बहुत सी बुद्घियाँ अमीर लोगों की वासनाओं की दास हो जाती हैं। अनुभव अल्लाह की मेहरबानी से ही प्राप्त होता है। दोस्ती एक तरह की रिश्तेदारी है। जो तुम से दुखी हो उस पर विश्वास मत करो।

212
इंसान की ख़ुदपसंदी उस की अक़ल की दुश्मन है।



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