Thursday 5 July 2012



हज़रत अली (अलैहिस्सलाम) के कथन (213-226)


213
कष्टों को नज़र अन्दाज़ करना सीखो वरना कभी ख़ुश नहीं रह पाओ गे।

214
जिस पेड़ की लकड़ी नर्म होती है उस की शाख़ाएँ घनी होती हैं। (अर्थात जिस का व्यवहार अच्छा होता है उस के दोस्त ज़्यादा होता है)

215
विरोध सही राय को बर्बाद कर देता है।

216
जो कोई पद प्राप्त कर लेता है ख़ुद को दूसरों से बड़ा समझने लगता है।

217
परिस्थितियों के उलट फेर में ही किसी व्यक्ति की विशेषताएँ सामने आती हैं।

218
किसी दोस्त का ईर्ष्या करना उस की दोस्ती के कच्चेपन की वजह से होता है।

219
बुद्धियों के भ्रष्ट होने का कारण, अधिकतर लोभ की बिजलियों का चमकना होता है। (अर्थात लोभ की बिजली की चमक, बुद्धिमान की बुद्घि भ्रष्ट कर देती है।)

220
केवल अनुमान की बुनियाद पर निर्णय करना न्याय नहीं है।

221
अल्लाह के बन्दों पर अत्याचार परलोक के लिए बहुत बुरा संग्रह है।

222
अच्छे इंसान का सबसे अच्छा कर्म यह है कि वो उन बातों की तरफ़ से आँख फेर ले जिन को वो जानता है।

223
जिस को लाज ने अपने वस्त्र से ढाँप दिया हो उस के दोष किसी के सामने नहीं आ सकते।

224
अधिक मौन रहने से धाक व भय पैदा होता है, न्याय करने से दोस्तों में बढ़ौतरी होती है, दूसरों पर मेहरबानी करने से मान मर्यादा बढ़ती है, झुक कर मिलने से पूरी नेमतें प्राप्त हो जाती हैं, दूसरों का बोझ उठाने से नेतृत्व मिलता है, न्याय करने से दुश्मन बरबाद हो जाते हैं, बुरदुबारी की वजह से बेवक़ूफ़ के मुक़ाबले में इंसान के तरफ़दार अधिक हो जाते हैं।

225
आश्चर्य है कि ईर्ष्यालु लोग शारीरिक स्वास्थ्य पर ईर्ष्या करने से क्यूँ चूक गए।

226
लोभ करने वाला अपमान की ज़ंजीरों में जकड़ा रहता है।

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