Tuesday 17 July 2012

हज़रत अली (अलैहिस्सलाम) के कथन (321 - 334)

321
अब्दुल्ला इबने अब्बास ने किसी विषय में आप (अ.स.) को राय दी तो आप (अ.स.) ने फ़रमायाः तुम्हारा काम है कि मुझ को राय दो और अगर तुम्हारी राय न मानूँ तब भी मेरी आज्ञा का पालन करो।

322
आप (अ.स.) सिफ़्फ़ीन के युद्ध से पलटते हुए कूफ़े पहुँचे तो शबाम क़बीले की आबादी से होकर गुज़रे तो आपने सिफ़्फ़ीन के युद्ध में मारे जाने वालों पर रोने वाली महिलाओं की आवाज़ें सुनीं। इतने में हर्ब इबने शरजीले शबामी जो इस क़बीले के सरदार थे आप (अ.स.) के पास आए तो आप (अ.स.) ने उन से फ़रमायाः जैसा कि मैं सुन रहा हूँ तुम्हारी औरतें तुम पर हावी आ गई हैं, तुम इन को रोने से मना क्यूँ नहीं करते।

हर्ब आप (अ.स.) के साथ पैदल चलने लगे जब कि आप (अ.स.) घोड़े पर सवार थे। आप (अ.स.) ने फ़रमायाः

पलट जाओ तुम जैसे इंसान का मेरे साथ पैदल चलना हाकिम में बुराई पैदा करता है और मोमिन के अपमान का कारण बनता है।

323
नहरवान के युद्ध के दिन ख़ारजियों की लाशों की ओर से गुज़रते हुए फ़रमायाः

तुम्हारा बुरा हो, जिस ने तुम को धोका दिया उस ने तुम को हानि पहुँचाई।

आप (अ.स.) से पूछा गया कि या अमीरुल मोमिनीन (अ.स.) किस ने उन को उकसाया था। तो आप (अ.स.) ने फ़रमायाः

पथभ्रष्ट करने वाले शैतान और बुराई के लिए उकसाने वाले मन ने उन को आशाओं के धोके में डाला और पापों का मार्ग उन के लिए खोल दिया, उस ने उन से विजय व सफ़लता के वादे किए और इस तरह उन को नरक में झोंक दिया।

324
आप (अ.स.) ने फ़रमाया कि एकान्त में अल्लाह की अवज्ञा करने से डरो क्यूँकि जो गवाह है वही मुसिंफ़ (न्यायधीश) है।

325
जब आप (अ.स.) को मौहम्मद बिन अबू बकर के शहीद होने की ख़बर मिली तो फ़रमायाः
हमें उन के मरने का उतना ही दुख है जितनी उन के दुश्मनों को इस की ख़ुशी है। बेशक उन का एक शत्रु कम हुआ और हम ने एक दोस्त खो दिया।

326
आप (अ.स.) ने फ़रमाया कि वह आयु जिस के बाद अल्लाह क्षमा याचना स्वीकार नहीं करता साठ साल है।

327
जिस पर पाप ने क़ाबू पा लिया वो सफ़ल न हो सका और जिस पर बुराई ने अधिकार जमा लिया वो पराजित हो गया।

328
पाक परवरदिगार ने मालदारों के माल में ग़रीबों की रोज़ी क़रार दी है। अतः अगर कोई ग़रीब भूखा रहता है तो इस लिए कि मालदार ने माल समेट लिया है और पाक परवरदिगार इस पर उस मालदार से जवाब तलब करे गा।

329
सच्चे दिल से माफ़ी माँगने से अच्छा है कि माफ़ी माँगने की ज़रुरत ही न पड़े।

330
अल्लाह का तुम पर कम से कम हक़ यह है कि उस की दी हुई नेमतों का अल्लाह की अवज्ञा के रास्तों में उपयोग मत करो।

331
जब कमज़ोर व्यक्ति कर्म में कोताही करते हैं तो अल्लाह की तरफ़ से बुद्धिमानों के लिए कर्तव्य पालन का बेहतरीन अवसर है।

332
हाकिम लोग अल्लाह की ज़मीन पर उस के रक्षक हैं।

333
मोमिन का हर्ष उस के चेहरे पर और उस का दुख उस के दिल के अन्दर होता है। उस का दिल जितना बड़ा होता है वो अपने अन्तःकरण को उतना ही अपमानित करता है। वो अपने आप को दूसरों से ब़ड़ा दिखाने को बुरा समझता है और दूसरों को अपनी नेकियाँ सुनाने को दुश्मन समझता है। उस का दुख अथाह है और उस की हिम्मत बहुत बड़ी है। वो अधिकतर मौन रहता है, हर समय व्यस्त रहता है, वो सदैव कृतज्ञ रहता है और धैर्य उस की आदत होती है। वो हमेशा सोच विचार में खोया रहता है और अपनी आवश्यकताओं को किसी को नहीं बताता। वो विनम्र प्रवृत्ति का होता है और सुकून से चलता है। उस का अन्तःकरण पत्थर से अधिक कठोर और वो ग़ुलाम से अधिक सुशील होता है।

334
अगर कोई इंसान जीवन और उस के परिणाम को देखे तो उस की आशा और धोके से घृणा करने लगे।

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