Saturday 21 July 2012

हज़रत अली (अलैहिस्सलाम) के कथन (401 - 420)

401
लोगों में घुल मिल जाना उन से होने वाली हानि से सुरक्षित रखता है।

402
एक व्यक्ति ने आप (अ.स.) से अपनी हैसियत से बढ़कर कुछ कहा तो आप (अ.स.) ने उस से फ़रमायाः तुम पर निकलते ही उड़ने लगे और जवान होने से पहले ही बिलबिलाने लगे।

403
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः जो व्यक्ति एक साथ बहुत सी चीज़ों के पीछे भागता है उस के समस्त उपाय विफल हो जाते हैं।

404
आप (अ.स.) से लाहौल व ला क़ुवता इल्ला बिल्लाह (शक्ति और सामर्थ्य नहीं है मगर अल्लाह के लिए) का अर्थ पूछा गया तो फ़रमायाः हम अल्लाह के साथ किसी चीज़ के मालिक नहीं हैं, उस ने जिन चीज़ों का हमें मालिक बनाया है बस उन्हीं पर अधिकार रखते हैं। जब उस ने हमें ऐसी चीज़ का मालिक बनाया जिस पर वो हम से अधिक अधिकार रखता है तो उस ने हम को कुछ ज़िम्मेदारियां सौंपीं और जब उस चीज़ को हम से वापिस ले लिया तो उस ने हम से वो ज़िम्मेदारियां भी वापिस ले लीं।

405
आप (अ.स.) ने जब अम्मारे यासिर को मुग़ीरा इबने शोबा से सवाल जवाब करते सुना तो फ़रमायाः

ऐ अम्मार, इस को छोड़ दो। इस ने धर्म से केवल वो लिया है जो इसे दुनिया से निकट कर दे और इस ने जान बूझ कर ख़ुद को शंका में डाल रखा है ताकि शंकओं को अपनी ग़लतियों का बहाना क़रार दे।

406
अल्लाह के यहाँ पुरस्कार पाने के लिए मालदारों द्वारा ग़रीबों का आदर सत्कार किया जाना कितना अच्छा है और इस से भी अच्छा अल्लाह पर भरोसा करते हुए ग़रीबों का मालदारों के साथ स्वाभिमान के साथ पेश आना है।

407
अल्लाह ने किसी व्यक्ति को बुद्धि प्रदान नहीं की है मगर यह कि वो उस के द्वारा उस को विनाश से बचाएगा।

408
जो सत्य से टकराएगा हार जाए गा।

409
इंसान जो देखता है वो उस के दिल में एकत्रित होता रहता है।

410
पवित्र चरित्र (तक़वा) समस्त अच्छे गुणों का सिरमौर है।

411
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः जिस ने तुम को बोलना सिखाया है उस के ख़िलाफ़ अपनी ज़बान की तेज़ी मत दिखाओ और जिस ने तुम्हें सही रास्ते पर लगाया है उस के सामने बड़ी बड़ी बातें मत करो।

412
तुम्हारी आत्मा की शुद्घि के लिए यही काफ़ी है कि तुम जो चीज़ औरों के लिए पसन्द नहीं करते अपने लिए भी पसन्द मत करो।

413
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः (मुसीबत के समय) या तो स्वतन्त्र लोगों की तरह धैर्य रखो और या मूर्खों की तरह भूल भाल कर चुप रहो।

414
एक और रिवायत में आया है कि आप (अ.स.) ने अशअस इबने क़ैस से शोक प्रकट करते हुए फ़रमायाः

या बुज़ुर्गों की तरह धैर्य रखो और या पशुओं की तरह इस शोक को भूल जाओ।

415
आप (अ.स.) ने दुनिया की विशेषताएं बताते हुए फ़रमायाः

ये धोकी देती है, हानि पहुँचाती है और छोड़ कर चली जाती है। अल्लाह ने इस को न अपने दोस्तों के लिए पुरस्कार के तौर पर पसन्द फ़रमाया और न अपने शत्रुओं के लिए दण्ड के तौर पर। दुनिया के लोग एक क़ाफ़िले की तरह हैं। जैसे ही वो अपना सामान खोलना चाहते हैं क़ाफ़िले का सरदार कूच का आदेश सुना देता है कि वो अपना सामान बाँधें और चल खड़े हों।

416
अपने सुपुत्र हज़रत हसन (अ.स.) से फ़रमायाः ऐ मेरे पुत्र दुनिया की कोई चीज़ अपने पीछे मत छोड़ो, इस लिए कि तुम दो में से किसी एक के लिए छोड़ोगे। या तो वो जो उस माल को अल्लाह की आज्ञा के पालन में उपयोग करे गा तो तुम जिस माल के बारे में बदक़िसमत रहे वो उस माल के द्वारा ख़ुशक़िसमत बन जाएगा। या वो इंसान जो तुम्हारे माल का दुर्पयोग अल्लाह के आदेशों का उल्लंघन करने के लिए करेगा और इस तरह जो तुम ने उसे उपलब्ध कराया उस से वो बदक़िसमत हो गया और तुम ने उस की ग़लत हरकतों में उस की सहायता की और इन दोनों में से एक व्यक्ति भी इस बात को अधिकारी नहीं है कि तुम उस को अपने ऊपर प्राथमिकता दो।

यही बात एक और तरह भी रिवायत की गई है।

जो माल तुम्हारे हाथ में है तुम से पहले उस के मालिक दूसरे लोग थे और वो माल तुम्हारे बाद दूसरे लोगों के हाथ में चला जाएगा। और तुम ऐसे माल जमा करने वाले हो जो अपने माल को दो में से किसी एक प्रकार के व्यक्ति के लिए छोड़ोगे। एक वो जो तुम्हारे जमा किए हुए माल को अल्लाह के आदेशों का पालन करने में उपयोग करेगा और इस तरह जिस माल के बारे में तुम अभागे रहे वो उस माल के द्वारा ख़ुशक़िसमत हो जाएगा। या वो व्यक्ति जो तुम्हारे माल का अल्लाह के आदेशों का उल्लंघन करने के लिए दुर्पयोग करेगा और इस तरह जो तुम ने उस व्यक्ति को उपलब्ध कराया वो उस के द्वारा अभागा होगया। इन दोनों में से कोई व्यक्ति भी इस बात का अधिकारी नहीं था कि तुम उस को अपने ऊपर प्राथमिकता देते और अपनी पीठ पर उस के लिए बोझ उठाओ। अतः जो चला गया उस के लिए अल्लाह की रहमत और जो बाक़ी रह गया है उस के लिए अल्लाह की ओर से रिज़्क (रोज़ी) के उम्मीदवार रहो।

417
किसी ने आप (अ.स.) के सामने असतग़फ़िरुल्लाह कहा तो आप (अ.स.) ने फ़रमायाः तुम्हारी माँ तुम्हारे शोक में बैठे। क्या तुम जानते हो कि असतग़फ़िरुल्लाह क्या है। असतग़फ़ार ऊँचे लोगों का स्थान है और इस के छः अर्थ हैं। पहला यह कि जो हो चुका उस पर लज्जित होना। दूसरा यह कि उस काम को छोड़ देने का दृढ़ निश्चय कर लेना। तीसरा यह कि लोगों के प्रति अपने कर्तव्यों को पूरा करना यहाँ तक कि अल्लाह के सामने ऐसी हालत में पहुँचो कि तुम बिल्कुल पवित्र हों और तुम्हारा दामन पापों से पाक हो। चौथा यह कि हर व्यक्ति का हक़ जो तुम ने अदा नहीं किया उस को अदा करो। पांचवाँ यह कि तुम्हारे शरीर का वो गोश्त जो हराम के माल से बना हो उस को शोक के द्वारा पिघला दो यहाँ तक कि तुम्हारी खाल हड्डियों से लग जाए और उन दोनों के बीच दोबारा नया गोश्त पैदा हो। और छटा यह कि अपने शरीर को आज्ञा पालन के दुख से परिचित कराओ उसी तरह जिस तरह उस को पाप की मिठास को चखाया था और फिर कहो असतग़फ़िरुल्लाह

418
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः बुरदुबारी (शालीनता) एक क़बीले के समान है।

419
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः बेचारा इंसान कितना बेबस है, उस की मृत्यु उस से छिपी हुई है। उस की बीमारियाँ उस के अन्दर भरी हुई हैं। उस के कर्म लिख लिए गए हैं। वो मच्छर के काटने से चीख़ पड़ता है। वो पानी गले में फँसने से मर जाता है और पसीना उस में बदबू पैदा करता है।

420
कहा जाता है कि एक बार हज़रत अली (अ.स.) कुछ लोगों के साथ बैठे हुए थे कि उन के सामने से एक सुन्दर स्त्री गुज़री और लोग उस की ओर देखने लगे। जिस पर आप (अ.स.) ने फ़रमायाः

इन पुरुषों की आँखें ताकने वाली हैं और यह ताँक झाँक उन की वासना को उत्तेजित करने का कारण बनती है। अतः अगर तुम में से किसी व्यक्ति की नज़र किसी ऐसी स्त्री पर पड़े जो तुम्हें अच्छी लगे तो उस को अपनी पत्नि की ओर देखना चाहिए क्यूँकि यह स्त्री भी उस स्त्री की तरह ही है।

यह सुन कर एक ख़ारिजी ने कहा कि ख़ुदा इस काफ़िर को नष्ट करे यह कितना बड़ा फ़क़ीह (ज्ञानी) है। यह सुन कर लोग उस को जान से मारने के लिए उठे तो आप (अ.स.) ने फ़रमायाः

ठहरो, गाली का बदला ज़्यादा से ज़्यादा गाली हो सकता है और ग़लती को क्षमा करदेना उस से भी अच्छा है।


No comments:

Post a Comment