हज़रत अली (अलैहिस्सलाम) के कथन (421 - 440)
421
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः तुम्हारे लिए इतनी बुद्धि काफ़ी है जो तुम को बुराई का
रास्ता अच्छाई के रास्ते से अलग करके दिखा दे।
422
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः नेक काम करो और थोड़ी सी भी भलाई को छोटा मत समझो
क्यूँकि छोटी सी नेकी भी बड़ी और थोड़ी सी भलाई भी बहुत है। तुम में से कोई
व्यक्ति ये न कहे कि कोई दूसरा व्यक्ति नेक काम करने के लिए उस से अधिक योग्य है
वरना अल्लाह की क़सम ऐसा ही हो कर रहेगा। कुछ लोग नेकी करने वाले होते हैं और कुछ
लोग बदी करने वाले होते हैं। जब तुम नेकी या बदी में से किसी एक को छोड़ दोगे तो
तुम्हारे बदले उस काम को वो लोग अंजाम देंगे जो उस काम करने पात्र हैं।
423
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः जो व्यक्ति अपने अन्दर का सुधार कर लेता है तो अल्लाह
उस के बाहर को भी सही कर देता है। जो व्यक्ति धर्म के लिए काम करता है अल्लाह उस
की दुनिया भी ठीक कर देता है। जो व्यक्ति अपने और अपने अल्लाह के बीच मामलात ठीक
रखता है तो अल्लाह उस के और लोगों के बीच के मामलात ठीक कर देता है।
424
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः बुरदुबारी (शालीनता) एक ढाँपने वाला पर्दा है, बुद्धि
एक काटने वाली तलवार है। अतः अपने व्यवहार की कमज़ोरियों को अपनी शालीनता द्वारा
छिपाओ और अपनी वासनाओं का मुक़ाबला बुद्धि से करो।
425
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः अल्लाह अपने बन्दों को लाभ पहुँचाने के लिए अपने कुछ
बन्दों को चुन लेता है। अतः जब तक वो देते दिलाते रहते हैं, अल्लाह उन नेमतों को
उन के हाथ में रहने देता है और जब वो उन नेमतों को रोक लेते हैं तो अल्लाह वो
नेमतें उन से छीन कर दूसरों को दे देता है।
426
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः किसी व्यक्ति को शोभा नहीं देता कि वो दो चीज़ों पर
भरोसा करे। एक स्वास्थ्य और दूसरे दौलत। क्यूँकि अभी तुम किसी व्यक्ति को स्वस्थ्य
देख रहे होते हो और वो देखते ही देखते बीमार हो जाता है। और कभी तुम किसी व्यक्ति
को धनी देख रहे होते हो और वो देखते ही देखे दरिद्र हो जाता है।
427
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः अगर किसी व्यक्ति ने अपनी आवश्यकता की शिकायत किसी
मोमिन के सामने की तो ऐसा है जैसे उस ने अपनी शिकायत अल्लाह के सामने पेश की। और
अगर उस ने अपनी शिकायत किसी काफ़िर के सामने पेश की तो ऐसा है जैसे उस ने अल्लाह
की शिकायत की।
428
आप (अ.स.) ने एक ईद के अवसर पर फ़रमायाः
ईद केवल उस के लिए है जिस के रोज़ों को अल्लाह ने स्वीकार कर लिया हो और उस की
नमाज़ को आदर की निगाह से देखता हो। और हर वो दिन जिस दिन इंसान पाप न करे, ईद का
दिन है।
429
क़यामत के दिन हिसाब किताब के अवसर पर सब से अधिक पछतावा उस व्यक्ति को होगा
कि जिस ने अल्लाह के आदेशों का उल्लंघन करते हुए ग़लत तरीक़े से माल जमा किया फिर
जिस व्यक्ति को यह माल विरासत में मिला उस ने उस माल को अल्लाह के आदेशों का पालन
करने में व्यय किया और स्वर्ग में चला गया और पहला व्यक्ति जिस ने यह माल जमा किया
था इसी माल के कारण नरक में चला गया।
430
लेन देन में सब से अधिक घाटा उठाने वाला और दौड़ धूप में सब से अधिक नाकाम
होने वाला व्यक्ति वो है जिस ने माल प्राप्त करने के लिए अपने बदन को कमज़ोर कर
लिया हो मगर तक़दीर ने उस के इरादों में उस का साथ न दिया हो। अतः वो इस दुनिया से
भी हसरत लिए हुए गया और उस ने परलोक में भी दण्ड का सामना किया।
431
रोज़ी दो तरह की होती हैः एक रोज़ी वो होती है जो इंसान को ढूँढती है और एक वो
रोज़ी होती है जिस को इंसान ढूँढता है। अतः जो व्यक्ति दुनिया के पीछे भागता है
मौत उस का पीछा करती है यहां तक कि उस को इस दुनिया से बाहर कर देती है। और जो
व्यक्ति परलोक की तलाश में रहता है दुनिया उस को तलाश करती है यहां तक कि उस
को पूरी मिल जाती है।
432
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः अल्लाह के दोस्त वो होते हैं जो दुनिया के अन्दर को
(अर्थात उस की वास्तविकता को) देखते हैं जब कि लोग दुनिया के बाहर को देखते हैं।
अल्लाह के दोस्त दुनिया के कल पर नज़र रखते हैं जब कि लोग दुनिया के आज को देखते
हैं। और जिन चीज़ों के बारे में उन को डर था कि वो उन को बरबाद करदेंगी उन्होंने
स्वयं उन को बरबाद कर दिया और जिन चीज़ों के बारे में उन्होंने जान लिया कि वो उन
को छोड़ कर जाने वाली हैं उन्होंने स्वयं उन को छोड़ दिया। वो दूसरे लोगों की
दुनिया से अधिक से अधिक लाभ उठाने की कोशिशों को तुच्छ जानते हैं। वो दुनिया की
नेमतें हासिल करने को उन नेमतों के खोने के बराबर जानते हैं। ये लोग उन चीज़ों के
दुश्मन हैं जिन से लोगों ने दोस्ती कर ली है। और लोग जिन चीज़ों के दुश्मन हैं
इन्होंने उन से दोस्ती कर ली है। उन को अल्लाह की किताब (क़ुरान) का ज्ञान दिया
गया और वो अल्लाह की किताब के ज्ञानी हैं। अल्लाह की किताब उन की वजह से सुरक्षित
है और वो किताब की वजह से सुरक्षित हैं। वो जिस चीज़ की आशा रखते हैं उस से किसी
चीज़ को ऊँचा नहीं समझते और वो जिस चीज़ से डरते हैं उस से अधिक किसी चीज़ से नहीं
डरते।
433
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः याद रखो कि समस्त स्वाद ख़त्म हो जाने वाले हैं किन्तु
उन का दण्ड बाक़ी रहने वाला है।
434
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः आज़माओ ताकि घृणा करने लगो।
435
ऐसा नहीं है कि अल्लाह किसी बन्दे के लिए शुक्र का दरवाज़ा खोले और नेमतों में
बढ़ोतरी का दरवाज़ा बन्द कर दे, और किसी बन्दे के लिए दुआ का दरवाज़ा खोले और दुआ
की स्वीकृति का दरवाज़ा बन्द करदे और किसी बन्दे के लिए तौबा का दरवाज़ा खोले और
उस की मग़फ़िरत का दरवाज़ा बन्द कर दे।
436
दूसरों पर कृपा करने का सब से अधिक पात्र वो व्यक्ति है जिस का सम्बंध कृपा
करने वाले लोगों से हो।
437
आप (अ.स.) से सवाल किया गया कि कृपा और न्याय में से कौन श्रेष्ठ है। आप (अ.स.)
ने उत्तर दिया कि न्याय चीज़ों को उन के उचित स्थान पर रखता है और कृपा उन को
सीमाओं से बाहर कर देती है। न्याय समस्त लोगों के लाभ के बारे में सोचता है और
कृपा केवल कुछ विशेष लोगों के लिए होती है। अतः न्याय कृपा से बेहतर है।
438
लोग जिस चीज़ को नहीं जानते उस के दुश्मन होते हैं।
439
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः ज़ोहोद (संयम) की पूरी परिभाषा क़ुरान करीम ने दो
वाक्यों में बयान फ़रमाई हैः जो चीज़ तुम्हारे हाथ से जाती रहे उस पर दुख न करो और
जो चीज़ ख़ुदा तुम को दे उस पर इतराओ मत। अतः जो व्यक्ति जाने वाली चीज़ पर अफ़सोस
नहीं करता और आने वाली चीज़ पर इतराता नहीं उस ने ज़ोहोद की दोनों दिशाओं को समेट
लिया।
440
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः नींद इरादों को तोड़ देती है।
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