Sunday 22 July 2012

हज़रत अली (अलैहिस्सलाम) के कथन (441 - 460)

441
हुकूमत पुरुषों के लिए मुक़ाबले का मैदान है।

442
तुम्हारा कोई शहर दूसरे शहर से अच्छा नहीं है। तुम्हारे लिए सब से अच्छा शहर वो है जो तुम्हारा बोझ उठाए (अर्थात जहाँ तुम्हारा रोज़गार हो)।

443
जब हज़रत मालिके अशतर रहमतुल्ला अलैह की शहादत का समाचार मिला तो आप (अ.स.) ने फ़रमायाः मालिक, मालिक कैसा (अच्छा) इंसान था। ख़ुदा की क़सम अगर वो एक पहाड़ होता तो सब से अलग पहाड़ होता और अगर वो पत्थर होता तो एक भारी पत्थर होता कि न (किसी घोड़े का) खुर उस तक पहुँचता और न कोई पक्षी वहां पर मार सकता।

444
वो थोड़ा कर्म जिस में निरन्तरता हो उस अधिक कर्म से अच्छा है जिस को करने के बाद दिल को तकलीफ़ हो।

445
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः अगर किसी व्यक्ति में उत्तम गुण पाओ तो उस में वैसे ही दूसरे सदगुणों की अपेक्षा करो।

446
ग़ालिब इबने सअसआ अबुलफ़रज़दक़ से बात चीत के दौरान फ़रमायाः तुम्हारे पास जो बहुत से ऊँट थे उन का क्या हुआ। उन्होंने जवाब दिया कि हुक़ूक़ की अदायगी ने उन को तितर बितर कर दिया। आप (अ.स.) ने फ़रमायाः ये तो उन का सबसे अच्छा उपयोग हुआ।

447
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः जो व्यक्ति शरीयत के आदेश जाने बिना व्यापार करेगा वो ख़ुद को ब्याज के चक्कर में फँसा देगा।

448
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः जो व्यक्ति छोटी सी परेशानी को बड़ा समझता है अल्लाह उस को बड़ी विपत्तियों मे फँसा देता है।

449
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः जिस व्यक्ति की नज़र में उस का स्वंय का आदर होगा वो अपनी वासनाओं को महत्वहीन समझे गा।

450
कोई व्यक्ति हंसी मज़ाक़ नहीं करता मगर वो अपनी बुद्धि का एक भाग अपने से अलग कर देता है।

451
जो तुम्हारी तरफ़ झुके उस से मुँह मोड़ना तुम्हारे आनन्द व भाग्य को कम करता है और जो तुम से मुँह मोड़े उस की तरफ़ झुकना तुम्हारा अपमान है।

452
असली स्मृद्धि और दरिद्रता क़यामत के दिन अल्लाह के सामने पेश होने के बाद मालूम होगी।

453
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः ज़ुबैर हमेशा से हमारे घर का आदमी था यहां तक कि उस का अभागा बेटा अबदुल्ला जवान हो गया।

454
आप (अ.स.) ने फ़रमायाः आदम (अ.स.) के बेटे को गर्व से क्या काम जब कि उस का आरम्भ वीर्य से हुआ और उस का अन्त मुरदार है। न वो अपने लिए जीविका का प्रबन्ध कर सकता है और न अपनी मौत को अपने आप से दूर भगा सकता है।

455
आप (अ.स.) से पूछा गया कि सब से बड़ा कवि कौन है तो आप ने फ़रमाया कि सब कवियों ने एक ही मैदान में काव्य रचना नहीं की जिस से कहा जाए कि कौन आगे निकल गया और किस ने अन्तिम सीमा को छू लिया। किन्तु अगर किसी एक के बारे में निर्णय करना ही है तो फिर मलिकुल ज़लील (गुमराह बादशाह अर्थात उमराउल क़ैस) सब से अच्छा था।

456
क्या कोई स्वतंत्र पुरुष नहीं है जो इस चबाए हुए लुक़मे (अर्थात दुनिया) को उन के लिए छोड़ दे जो उस के पात्र हैं। तुम्हारी जान का मूल्य स्वर्ग के अतिरिक्त कुछ नहीं है अतः उस को किसी और मूल्य पर मत बेचो।

457
दो चाहने वाले कभी संतुष्ट नहीं होते। एक ज्ञान चाहने वाला, एक दुनिया चाहने वाला।

458
ईमान की निशानी यह है कि जहाँ सच्चाई तुम्हारे लिए हानिकारक हो तुम उस को झूट पर प्राथमिकता दो और तुम्हारी बातें तुम्हारे कर्म से अधिक न हों और दूसरों के बारे में बात करने से पहले अल्लाह से डरते रहो।

459
भाग्य प्रयास पर छा जाता है और कभी कभी प्रयास से हानि हो जाती है।

460
शालीनता (बुरदुबारी) और धैर्य (सब्र) हमेशा एक दूसरे के साथ देते हैं और दोनों के लिए बहुत हिम्मत चाहिए।

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